सताना का नाम शायद बहुत से लोगों ने सुना होगा या शायद ना भी सुना हो၊
इस बात से आपको कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता पर मुझे पड़ता है। ये कहानी बचपन से नानी और माँ दोनों के मुह से साल दर साल सुनी है। शायद आप मे से कुछ वाकिफ होंगे उत्तर भारत में मनाये जाने वाले त्यौहार भाई दूज से।
रक्षा बंधन की तरह भाई दूज भी भाई और बहन के लिए मनाया जाने वाला त्योहार है। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है और उसके अगले दिन भाई दूज। इस दिन घर की बहने और बहुएँ सुबह सवेरे नहा धोके चावल और पानी को पीस कर महीन सफ़ेद रंग तैयार करती हैं और उस रंग से घर के कमरे या आंगन के कोने में फर्श पर कोहबर जैसी कलात्मक कृतियां बनाती हैं। इस पेंटिंग में मुख्य रूप से 6 भाई और एक बहन, 6 बीवियां, द्वारपाल, साँप, गाय और गंगा जमुना होते हैं।
इन सब का कोहबर में बनाये जाने का एक विशेष कारण होता है। भाई दूज के दिन कुल पाँच कहानियां कही जाती हैं। इन्ही में से एक होती है सताना की कहानी।
बहुत साल हुए , नानी के देहांत के बाद से सताना की कहानी नहीं कही गयी। कारण सिर्फ यही की घर की औरतें अब उतनी मेहनत नहीं करना चाहती थीं।
सताना 6 भाइयों की अकेली और लाडली बहन और भाभियों से त्रस्त एक अबला कन्या है जो अक्सर भाभियों के कोप का शिकार बनती है। एक बार सताना को उसकी एक भाभी ने काली कम्बल सफेद करके लाने का हुक्म दिया तब सताना देर तक यमुना किनारे बैठी रोती रही। भला हो जमुना मैया का जिन्होंने अपने पानी के वेग से सताना की काली कम्बल सफ़ेद कर दी थी।
एक दिन ऐसे ही भाइयों के विदेश जाने पर भाभियों ने सताना को हुक्म दिया चलनी में गाय का दूध दुह कर लाया जाये। सताना ने लाख कोशिश की, पर गाय ढीठ थी और वो सताना को पास भी न फटकने देती थी। एक सांप से से संतान के आंसू न देखे गए और उसने सताना को कहा कि उसके शरीर से गाय के पैर बाँध कर दूध दुह ले। तब कहीं जा के सताना गाय को काबू में कर पायी।
पर जब छलनी में दूध दुहना शुरू किया तो सारा दूध गिर जाता था। सताना फिर से रोने लगी। इस बार गाय घर में रहने वाली मकड़ियों से सताना का रोना नहीं देखा गया। और उन्होंने छलनी में कुछ इस तरह जाला बुना दूध गिरना बंद हो गया।
एक दिन राजा के यहाँ मुनादी हुयी, नए बाँध का उदघाटन होना था और पंडित ने बताया की एक ऐसे आदमी की बलि दी जाये जिसको कभी ना मारा पीटा गया हो न ही कभी गली या अपशब्द बोला गया हो। सताना ने जब यह सुना तो उसका माथा ठनका की जरूर उसके भाई को पकड़ के बलि दे दिया जायेगा क्योंकि सताना के भाई बहुत ही लाडले थे, ना ही कभी उनको गाली न कभी डांट मार पड़ी थी ।
यह मुनादी सुनते ही सताना भागते हुए कुएं के पास पहुंची और सारे गाँव वालों के सामने जोर जोर से चिल्ला कर एक ही बात रटने लगी - भैया मरे भौजैया रांड । जिसका मतलब है की भाई की मृत्यु हो और भाभी विधवा हो जाये । ईसिस प्रकार की गालियां सताना दे ही रही थी तब तक राजा के सैनिक घर घर बलि के लिए आदमी खोजते हुए सताना के दरवाजे पहुंचे जहाँ भाइयों और भाभियों में बहस चल रही थी की सताना पागल हो गयी है और अपने भाइयों को बुरा भला कह रही है।
सारे गांव वालों ने सैनिकों को ये कह कर सताना के घर भेज दिया की केवल सताना के भाई ही हैं जिनको कभी गाली या मार ना पड़ी हो। जब सैनिक सताना के घर पहुंचे, तो भाई और भाभी घर में आपस में सताना को लेके लड़ रहे थे । सैनिकों ने भाई को पकड़ा और ले कर चलने लगे।
जब गांव के चौक पर भाई को बलि से पहले स्नान करने के लिए कपडे उतारे गए, वैसे ही देखा की भाई के पूरे शरीर पर ना जाने कितने घाव थे । यह देखते ही सैनिकों ने भाई को गालियां देते हुए छोड़ दिया । इस प्रकार भाई अपने घर आये और सताना ने घर पहुँच कर अपने भाई से बहुत माफ़ी मांगी और बार बार रोते हुए कहा की भाई की जान बचाने के लिए उसने गालियां दीं । इसके बाद भाई, भाभी और संतान सब मिलकर ख़ुशी से साथ साथ रहने लगे।
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